खिवान्दी गॉंव अरावली के पर्वतों के बीच बसा हुआ है । इस गॉंव का प्राचीन नाम “क्षमानंदी” है और यह शब्द अपने क्षमाश्रमण भगवान महावीर की याद दिलाता है । कहते हैं कि , पूर्व में इस क्षमानंदी गॉंव से प्राचीन तिर्थ कोरटाजी तक एक ही नगरी थी जिसमें 52 जैन जिनालय थे ओर संध्या समय जब आरतीयॉं कोरटाजी में होती थी तो घंटनाद खिवान्दी में सुनाई देता था । आज से 2500 वर्ष पूर्व इस पुण्य नगरी में क्षमाश्रमण भगवान महावीर अपने परिवार के एक करोड देवी – देवताओं के साथ पधारे थे, इसलिए भी हो सकता है कि इसे क्षमानंदी कहते है ।
यह गॉंव अढीद्रीप में, भरत क्षेत्र में, भारत देश में, राजस्थान प्रांत में, पाली-मारवाडा जिले में आया हुआ है ओर गोडवाड क्षेत्र में सबसे बडा गॉंव खिवान्दी ही है । इसी गोडवाड क्षेत्र के प्रथम आचार्य भगवंत प.पू .आ. श्रीमद विजय चद्रोदयसूरीश्व्ररजी म.सा.भी इसी गॉंव में जन्मे हुए है, जिन्होंने जिनशासन में खिवान्दी गॉंव को दिपाया है । इस गॉंव से कुल 22 साधुजी-साघ्वीजी भी इसी गॉंव से निकले है । इस तरह खिवान्दी गॉंव जिनशासन के अणगार – रत्नों की खान है ।
यहॉ पर भव्यातिभव्य छ: जिनालय है अत: दर्शनार्थ, सेवापूजा करने पधारने वाले यात्रीकों को पंचतिर्थी का उत्कृष्ट लाभ मिलता है । यहॉ पर विशिष्ट कलाकृती युक्त प्रभु महावीर का स्वर्ण मंदिर है जो पुरे भारत भर में एवं पुरे विश्व में एक उदाहरण है । यहॉ पर यात्रिकों को ठहरने के लिए सुदंर धर्मशाला, तीनो समय के भोजन के लिए उत्तम भोजनशाला की व्यवस्था भी है ।
प्रभु महावीरजी मंदिर में संप्रतीकालीन प्रभु महावीर सहीत सभी बिंब, तैयार खंम्भे और, जिन मंदिर के निर्माण के लिये द्रव्य, एक जन को स्वप्न में आने के बाद कुदरती निकले हुए है, यह एक अनोखा इतिहास अपने आप में अद्वीतीय है ।
यहॉ पर सभी समुदाय के एक से एक महात्मा, गुरु भागवंतों की पधरामणी हुई है और हो रही है । खिवान्दी गॉंव सुमेरपुर से 8 कि .मी., शिवगंज से 10 कि.मी., तखतगढ से 17 कि.मी., जवाई बॉध रेल्वे स्टेशन से 17 कि मी. की दूरी पर स्थित है । सभी जगह से आवागमन बस, रिक्शा, जीपों के एकदम सुलभ है ।
श्री खिवान्दी जैन संघ के कुल 918 वरसूददाता इस गॉंव में रहते है । समय समय पर गॉंव में देशावर से लोंगों का आना-जाना ही रहता है । एक से एक धार्मिक अनुष्टान गॉंव में होते ही रहते है ।
अत: सभी यात्रालुओं से विनंती हैं कि एक बार खिवान्दी गॉंव में पधारकर पंचतिर्थी यात्रा का लाभ अवश्य लेवे ।
धन्यवाद !
आपकी,
क्षमानंदी सेवा समिती – खिवान्दि (राज.)
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